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हरियाणा बजट 2025: सीएम नायब सैनी की ऐतिहासिक घोषणाएं और कर्मचारियों की नाराजगी

हरियाणा बजट 2025: सीएम नायब सैनी की ऐतिहासिक घोषणाएं और कर्मचारियों की नाराजगी

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 18 मार्च 2025 को विधानसभा में बजट पेश करते हुए राज्य के विकास के लिए कई ऐतिहासिक घोषणाएं कीं। इस बजट में हर वर्ग के लिए योजनाओं की झड़ी लगाई गई, जिसमें खास ध्यान राज्य के कर्मचारियों की कल्याणकारी योजनाओं पर दिया गया है। हालांकि, कर्मचारियों की कुछ प्रमुख मांगों की अनदेखी से असंतोष का माहौल भी बन गया है।


कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने राज्य कर्मचारियों के लिए एक नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा की। इस योजना के तहत कर्मचारियों को हर महीने कम से कम 10,000 रुपये का पेआउट मिलेगा, जबकि उनके परिवार को 30% फैमिली पेआउट का लाभ मिलेगा। यह लाभ 10 वर्षों की न्यूनतम सेवा के बाद प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, रिटायरमेंट के बाद पेआउट का पूरा लाभ 25 साल की सेवा के बाद मिलेगा। यह योजना कर्मचारियों के लिए एक बड़ा तोहफा है, जो उनके भविष्य को सुरक्षित करने में सहायक होगी।

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मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने सरकारी आवासों की कमी को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की योजना बनाई है। राज्य में कर्मचारियों के लिए पर्याप्त संख्या में सरकारी आवासों का निर्माण शुरू किया जाएगा, जिससे कर्मचारी अपने परिवार के साथ बेहतर जीवन यापन कर सकेंगे।

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नए पोर्टल के जरिए विभागीय कामों की समीक्षा

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान विभागों के रुके हुए कामों को पूरा करने के लिए एक नया पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की। इस पोर्टल के जरिए कार्यों की प्रगति की नियमित समीक्षा की जाएगी, जिससे सरकारी कार्यों में तेजी आएगी और पारदर्शिता बनी रहेगी। यह कदम कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इससे सरकारी कामकाजी माहौल में सुधार होगा और लंबे समय से रुके हुए कार्यों को पूरा किया जा सकेगा।


कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी से नाराजगी

हालांकि, इस बजट में राज्य कर्मचारियों के लिए कई अहम घोषणाएं की गई हैं, लेकिन कई कर्मचारियों और पेंशनर्स ने यह महसूस किया है कि उनकी प्रमुख मांगों की अनदेखी की गई है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को नजरअंदाज करने वाला है। कर्मचारियों ने राज्य कर्मचारियों के लिए अलग वेतन आयोग की मांग की थी, साथ ही उन्होंने पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली, कौशल रोजगार निगम को भंग करने, सभी ठेका और आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने, और न्यूनतम वेतन बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।


मजदूरों और अस्थाई कर्मचारियों के लिए कोई राहत नहीं

सीटू के अध्यक्ष निरंतर पराशर और सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने मुख्यमंत्री के बजट को मजदूरों के साथ धोखाधड़ी करार दिया। उनका कहना था कि सरकार ने राज्य की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का बखान तो किया, लेकिन मजदूरों, ठेका कर्मचारियों और स्कीम वर्कर्स की स्थिति को नजरअंदाज किया। राज्य में वर्तमान में न्यूनतम वेतन केवल 11,001 रुपये है, जो इन कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है, तो इन कर्मचारियों को इसका उचित लाभ क्यों नहीं मिल रहा है?


कर्मचारियों की प्रमुख मांगों पर असंतोष

कर्मचारियों की प्रमुख मांगों की अनदेखी से असंतोष का माहौल उत्पन्न हो गया है। कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली, वेतन आयोग के गठन, और न्यूनतम वेतन में वृद्धि की मांग की थी, लेकिन इन मुद्दों पर बजट में कोई ठोस घोषणा नहीं की गई। इसके अलावा, कौशल रोजगार निगम को भंग करने और सभी ठेका कर्मचारियों को नियमित करने की मांग भी पूरी नहीं की गई है। कर्मचारियों का मानना है कि सरकार ने उनकी मेहनत और योगदान को नजरअंदाज किया है, और वे इस बजट को अपने हितों के खिलाफ मानते हैं।

 

 विकास की दिशा और कर्मचारियों की अवहेलना

मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा पेश किया गया बजट राज्य के विकास की दिशा में कई सकारात्मक कदम उठा रहा है। जहां एक ओर कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और सरकारी आवास की योजना जैसे कदम उठाए गए हैं, वहीं दूसरी ओर कई कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों में असंतोष और नाराजगी का माहौल है। सरकार को अब यह समझने की जरूरत है कि केवल आर्थिक आंकड़े और जीडीपी की वृद्धि से राज्य का विकास नहीं होता, बल्कि कर्मचारियों और मजदूरों की भलाई पर भी ध्यान देना जरूरी है।

कर्मचारियों की नाराजगी और असंतोष के बावजूद, यह देखा जाएगा कि सरकार इन मुद्दों को किस प्रकार हल करती है और आगामी समय में क्या कदम उठाए जाते हैं ताकि कर्मचारियों को उनके हक मिल सके।

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